अध्याय 1
ज़ियाडोरा ग्रीनलीफ़ सोच रही थी — क्या उसकी माँ भी कभी किसी एयर वेंट में दुबकी बैठी थी, किसी डरावने जीव को पकड़ने के इंतज़ार में? जवाब खुद-ब-खुद उसके दिमाग़ में आया: ज़रूर बैठी होगी!
"ऑफ़िस हॉल के आख़िर में है, बाईं ओर," सारा ने फुसफुसाया। उसने वेंट की जाली से झाँकते हुए एक बड़े, काले दरवाज़े की ओर इशारा किया। "जल्दी से अंदर चलते हैं, इससे पहले कि गार्ड्स वापस आ जाएं।"
सारा कमांडर थी, और उसकी उम्र ग्यारह साल थी — ज़िया से दो साल बड़ी। ज़िया को अब तक यक़ीन नहीं हो रहा था कि उसे इतना बड़ा मौका मिल गया है — यह उसका पहला मिशन था, और वह पिछले तीन महीनों से सारा के साथ जोड़ी में थी। और आज — आज था बड़ा दिन! फिलहाल, वे दोनों एक तंग एयर वेंट में अजीब हालत में फँसी हुई थीं।
"ठीक है, क्या तुम तैयार हो?" सारा ने ज़िया से पूछा।
वे दोनों मिलकर एक ज़बरदस्त टीम थीं। सारा होशियार और मज़ेदार थी। ज़िया तेज़ और फुर्तीली। और साथ मिलकर, उनके लिए कोई भी मिशन बहुत बड़ा या बहुत मुश्किल नहीं था। और सबसे बड़ी बात — उनके पास दो बहुत बड़े, बहुत ही ख़ास राज़ थे।
"बिलकुल!" ज़िया ने कहा और अपनी सबसे प्यारी दोस्त की तरफ़ मुस्कराई।
पहला राज़? वे दोनों असल में सीक्रेट एजेंट थीं — जासूस। और आज, वे एक बदमाश ट्रोल को पकड़ने जा रही थीं जो खुद को शिकागो के सबसे अमीर बैंक का बॉस बताकर लोगों को धोखा दे रहा था। ट्रोल्स को पैसों से बेहद प्यार होता है, और वे पैसा पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। और ये ट्रोल — येगो — सबसे ख़तरनाक ट्रोल्स में से एक था। लेकिन सबसे पहले, उन्हें इस तंग वेंट से बाहर निकलना था।
"पाउच निकालो," सारा ने कहा।
सारा ने हरे चमकीले पत्तों से बनी एक थैली निकाली। ज़िया ने भी अपनी पाउच खोली। दोनों ने पेड़ की छाल जैसी दिखने वाली चीज़ निकाली — और वो सच में छाल ही थी, लेकिन किसी आम पेड़ की नहीं। इसका नाम था 'जिनफेंडल की छाल', और इसमें थी कुछ ख़ास जादुई ताक़त।
"चलो, जल्दी से निगल लेते हैं," ज़िया ने जीभ बाहर निकालते हुए कहा।
दोनों ने छाल को अपनी जीभ पर रखा और चबाया। अजीब, कड़वा स्वाद ज़िया के गले से उतरते ही उसे लगा जैसे उसका शरीर एक भौंरे जैसा झनझना रहा हो। और फिर — वह सिकुड़कर मटर के दाने जितनी छोटी हो गई! लेकिन अब उनके पास सिर्फ़ कुछ सेकंड थे।
"चलो, चलो, चलो!" ज़िया चिल्लाई — उसकी आवाज़ अब उतनी ही छोटी थी जितनी वो खुद।
वे दोनों वेंट की जाली के नीचे से बाहर निकल गईं। वह जाली अब इतनी बड़ी लग रही थी जैसे वे किसी फुटबॉल गोलपोस्ट के नीचे से दौड़ रही हों। हॉलवे में पहुँचकर दोनों ने गहरी साँस ली। ज़िया ने अपने बैंगनी, छोटे और सींक जैसे खड़े बालों को झटका। वही कंपन दोबारा हुआ — और वह वापस नौ साल की लड़की में बदल गई।
"एकदम जादू जैसा!" सारा ने मज़ाक किया।
ज़िया ने आंख मारी। यह था उनका दूसरा बड़ा राज़ — वे सिर्फ़ जासूस ही नहीं थीं, बल्कि फ़े कबीले से भी थीं। कुछ लोग उन्हें परियाँ कहते थे, लेकिन फ़े को यह नाम बिल्कुल पसंद नहीं। वे ना तो चमकते कपड़े पहनती थीं, ना ही उनके पास जादुई छड़ी होती थी। असल में, फ़े लोग सीधे जादू नहीं करते थे। वे गुप्त जंगलों में रहते थे, जहाँ जादुई पौधे उगते थे। बचपन से ही उन्हें सिखाया जाता था कि किन पौधों को कब और कैसे खाना है।
"ठीक है ज़िया, येगो इसी कमरे में है," सारा ने फुसफुसाया, जब वे काले दरवाज़े के पास पहुँचीं। "चलो इस मिशन को पूरा करें!"
गॉडमदर ने उन्हें येगो को ढूँढ़ने और उसकी बुरी योजनाओं को रोकने का आदेश दिया था। ज़िया चाहती थी कि उसका पहला मिशन पूरी तरह सफल हो। वह अपनी माँ जैसी हीरो बनना चाहती थी। और पहली बार, उसे ऐसा महसूस हुआ था कि वह कहीं की सच्ची सदस्य है — और शायद उसे एक सच्ची दोस्त भी मिल गई है।
"ये काम तुम्हें करना चाहिए, ज़िया," सारा ने दरवाज़े के बाहर फुसफुसाया। "तुम इसकी हक़दार हो।"
सारा ने ज़िया को एक जोड़ी हथकड़ी दी। वे फ़े बेल से बनी थीं — अगर वे ट्रोल पर बाँध दी जाएं, तो उसकी सारी ताक़त चली जाती। ज़िया ने दरवाज़ा खोला और अंदर कूद गई। पीछे से उसे सारा की मौजूदगी का अहसास हुआ। एक बहुत लंबा और चौड़ा आदमी लकड़ी की मेज़ के पीछे बैठा था।
"हाथ ऊपर करो, येगो!" ज़िया चिल्लाई, हथकड़ियाँ ऊपर उठाते हुए। "तुम गिरफ़्तार हो!"
लेकिन येगो ने हाथ नहीं उठाए। बल्कि वह हँस पड़ा। ज़िया की आँखों के सामने, उसका चेहरा उबलते सूप जैसा बुलबुलाने लगा। उसकी इंसानी खाल पिघलकर एक बदसूरत, दानेदार, उल्टी-जैसे रंग वाले चेहरे में बदल गई। ज़िया ने दरवाज़े के पीछे किसी को हिलते हुए देखा — लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।
"ज़िया, मदद करो!" सारा की चीख़ सुनाई दी।
एक और ट्रोल सारा को अपने मोटे, पेड़ जैसी बाहों में जकड़े खड़ा था। पीला-सा येगो ज़िया की तरफ़ घूर रहा था। उसके हरे, चिपचिपे होंठ ऐसे हिल रहे थे जैसे वह बोलते हुए खा भी रहा हो।
"स्वागत है, मेरी परी दोस्तों।"
ज़िया की साँसें थम गईं। येगो की मुस्कान और भी डरावनी हो गई।
"क्या तुमने सच में सोचा था कि दो छोटी परियाँ मुझे, महान येगो को, रोक सकती हैं?"
येगो कुर्सी पर पीछे झुक गया, जैसे मज़े से बैठा हो। दूसरा ट्रोल, जिसने सारा को पकड़ा हुआ था, ज़ोर से हँस पड़ा। ज़िया वहीं जमी रह गई — वे तो सरप्राइज़ अटैक करने आए थे, लेकिन अब क्या? उसका दिमाग़ भारी हो गया था। उसे कुछ करना चाहिए था! उसने अपनी पाउच की तरफ़ हाथ बढ़ाया। लेकिन सारा ने सिर हिलाकर रोका — और फिर उसने बहुत धीमी, फ़े भाषा में फुसफुसाकर कहा, जिसे ट्रोल्स सुन नहीं सकते थे:
"मैं अपनी पाउच तक नहीं पहुँच पा रही। मुझे अपनी पाउच दो, ज़िया। मुझ पर भरोसा रखो, मुझे पता है क्या करना है।"
ज़िया हैरान रह गई। फ़े पाउच पवित्र मानी जाती है। अगर कोई जबरदस्ती ले, तो वह फटकर आग का गोला बन जाती है। लेकिन अगर अपनी मर्ज़ी से दी जाए, तो वह सुरक्षित रहती है। और यह तो ज़िया की पाउच थी — लेकिन हालात भी सामान्य नहीं थे।
सारा ने भरोसे से सिर हिलाया।
"एक... दो..." सारा ने गिना।
अचानक, सारा ने अपनी एक कलाई आज़ाद कर ली। "तीन!"
ज़िया ने अपनी पाउच खोली और उसे सारा की ओर फेंक दिया। पाउच बिलकुल सही तरीके से सारा के हाथों में आ गिरी। सारा मुस्कराई। लेकिन ज़िया को झटका तब लगा, जब वह ट्रोल जो सारा को पकड़े था — वह भी मुस्कराने लगा।
"बहुत बढ़िया काम किया, सारा," येगो ने कहा। "छोड़ दो इसे, गॉर्ज।"
दूसरे ट्रोल ने सारा को छोड़ दिया। ज़िया हैरानी से मुँह खोले खड़ी रह गई। सारा सीधे येगो की मेज़ की ओर चल पड़ी। और फिर — ज़िया की सबसे क़ीमती चीज़ — उसकी फ़े पाउच — उसने येगो को दे दी।
और कुछ नहीं हुआ। पाउच नहीं फटा। क्योंकि ज़िया ने उसे अपनी इच्छा से दे दिया था!
"सारा!" ज़िया चिल्लाई। उसका पूरा शरीर कांप गया। "तुम ये क्या कर रही हो?"
सारा ने सिर्फ़ एक बुरी मुस्कान दी। येगो हँसते हुए बोला। उसने सोने की थैली निकाली — जो ज़िया के सिर से भी बड़ी थी। सारा खुशी से घूमने लगी। लेकिन जब उसने सोने की तरफ़ हाथ बढ़ाया, तो येगो ने थैली खींच ली।
"इनाम तो मिलेगा," येगो ने कहा, "लेकिन तब, जब तुम इस परी को पकड़ लोगी।"
सारा ने घूरते हुए ज़िया की ओर देखा। उसकी आँखें अब भेड़िए जैसी थी।
"कोई बात नहीं, बॉस," उसने कहा। "अब इसके पास कोई जादू नहीं बचा। अब ये सिर्फ़ एक डरी हुई नौ साल की लड़की है।"
लेकिन सारा ग़लत थी।
ज़िया के पास अब भी थोड़ी जादुई ताक़त बची थी — उसकी बाजू की सिलाई में छिपी हुई। उसने जल्दी से अपनी आस्तीन में हाथ डाला और चाँदी की एक ‘क्लाउड ग्रास’ और थोड़ी सी ‘जिनफेंडल छाल’ निकाल ली। उसने उन्हें मुँह में रखा और चबाया। फिर उसने देखा — खिड़की खुली थी! और बाहर से शिकागो की आवाज़ें आ रही थीं।
"पकड़ो उसे!" येगो चिल्लाया।
सारा ने ज़िया की ओर छलांग लगाई। लेकिन ज़िया नीचे झुकी, लुड़कती हुई मेज़ की ओर भागी। गॉर्ज ने हाथ मारा, लेकिन ज़िया झुक गई और हवा में छलांग लगाकर मेज़ पर चढ़ गई। येगो ने घूंसा मारा, लेकिन तब तक ज़िया छाल और घास निगल चुकी थी।
"कहाँ गई वो?" येगो गुर्राया।
अब ज़िया फिर से मटर के दाने जितनी हो गई थी। वह मेज़ पर दौड़ी और खिड़की की ओर छलांग लगाई। ठीक तभी, क्लाउड ग्रास ने असर किया — उसके पीठ से पंख उग आए और वह उड़ने लगी।
"खिड़की बंद करो!" सारा चीख़ी। "वो भाग रही है!"
"तेज़! और तेज़!" ज़िया ने मन ही मन कहा।
खिड़की का पल्ला तेज़ी से गिरने लगा। वो लगभग उसमें फँस ही गई थी। लेकिन आख़िरी पल में, ज़िया फुर्ती से उड़ती हुई खिड़की से बाहर निकल गई —
— ठीक उसी पल, जब खिड़की ज़ोर की आवाज़ के साथ बंद हुई।
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अध्याय 2
ज़िया फ़े जंगल के बीचोंबीच बिना किसी दिशा के चल रही थी। यही उसका घर था। वह इसी जंगल में बड़ी हुई थी — एक रहस्यमय जगह, जो उत्तर की जंगली घाटियों में छिपी हुई थी। इंसान कभी भी इस ख़ास फ़े क्षेत्र में नहीं घुस पाए थे। और इसकी एक बड़ी वजह थी — छोटे-छोटे बैंगनी रंग के जादुई फूल जो पूरे जंगल के किनारों पर झुंड में उगते थे। ज़िया को उनकी खुशबू किसी गर्म, मुलायम तकिए जैसी लगती थी। लेकिन इंसानों को वही गंध बुरी लगती थी — जैसे किसी ने उन्हें याद दिला दिया हो कि वे कुछ ज़रूरी चीज़ें करना भूल गए हैं, जैसे गैस बंद करना या दरवाज़ा लॉक करना।
ज़िया को लगा था कि घर लौटने पर उसे अच्छा लगेगा। लेकिन वो कुछ महसूस ही नहीं कर पा रही थी — उसका दिल एकदम सुन्न था। वह रुक गई और ऊपर देखा — ऊँचे-ऊँचे देवदार के पेड़ों के बीच लाल बेलों से बने झूले हुए पुल। तीन बूढ़ी फ़े महिलाएँ धीरे-धीरे पुल पर चल रही थीं, पेड़ के दूसरे तरफ़ के एक घर की ओर। उनमें से एक महिला रुकी, नीचे झाँका, और फिर अपनी साथियों से कुछ फुसफुसाई। ज़िया ने भले ही शब्द न सुने हों, लेकिन उसके दिल में वो बातें उतर गईं।
"ग्रीनलीफ़... पाउच... गॉडमदर... कितनी शर्म की बात है..."
जब से वह वापस लौटी थी — न ट्रोल को पकड़ा, न पाउच वापस लाई — तब से उसे हर जगह ये कानाफूसियाँ सुनाई दे रही थीं। क्या लोग उसकी नाकामी पर बातें कर रहे थे? या उस पर दया कर रहे थे? या उन्हें लगता था कि वह कभी अपनी माँ जैसी नहीं बन पाएगी? ज़िया को नहीं पता कि इन तीनों में से कौन सा ख्याल सबसे ज़्यादा दुखद था।
शिकागो के बैंक से उसकी भाग निकलने की घटना को अब दो हफ्ते हो चुके थे। और फिर भी, सोचने के बाद भी वह नहीं समझ पा रही थी कि वह कैसे बच गई। उसकी यादें तितलियों जैसी थीं — जैसे ही वह उन्हें पकड़ने की कोशिश करती, वे उड़ जातीं।
दूर कहीं उसे चमचमाते लाल जामुन दिखाई दिए। आदतन, उसका हाथ अपनी पाउच की ओर गया — काश वह अपने बोल्ट बेरी फिर से भर सकती। और तभी उसे याद आया — अब उसके पास पाउच ही नहीं है। एक अजीब खालीपन महसूस हुआ — जैसे कोई नहाकर बाथरूम से निकले और तौलिया ही न मिले।
"ओए, ग्रीनलीफ़!"
वह आवाज़ सुनकर वह चौंक गई। उसके पीछे खड़ा था मार्टिन — उसका पुराना ट्रेनिंग साथी। भले ही वह उससे उम्र में बड़ा था, वे दोनों एक ही समय पर ग्रेजुएट हुए थे।
"क्या है?" ज़िया ने चिढ़कर पूछा।
मार्टिन ने तिरछी मुस्कान दी। वे कभी दोस्त नहीं रहे। मार्टिन को चिढ़ थी कि ज़िया ने हर ट्रेनिंग टेस्ट में उसे पछाड़ा था। और ज़िया को बुरा लगता था कि मार्टिन बिना मेहनत के खुद को बहुत बड़ा एजेंट समझता था।
"गॉडमदर तुम्हें बुला रही हैं," उसने कहा।
फिर वही मुस्कान। ज़िया का पेट एकदम सिकुड़ गया। फिर वह कंधे उचकाकर मुड़ा और जाने लगा।
"रुको! गॉडमदर को मुझसे क्या काम है?"
मार्टिन रुका, लेकिन पीछे मुड़े बिना बोला, "पता नहीं, ग्रीनलीफ़। शायद एफएसए अब तुम्हें अकैडमी में घास उखाड़ने का काम दे दे।"
ज़िया ने जीभ बाहर निकाली, लेकिन तब तक वह जा चुका था। झूठा, घमंडी, और मूर्ख! लेकिन अब उसका दिल बहुत तेज़ धड़कने लगा था। क्या वह एफएसए से निकाल दी जाएगी? जब से वह छोटी थी, उसने अपनी माँ को हर मिशन के बाद लौटते देखा था — और वही उसका सपना था। उसकी माँ बेजोड़ थी। ज़िया सोच रही थी — अगर माँ आज होती, तो वह अपनी बेटी पर क्या सोचती?
उसने तेज़ी से ‘द ग्रेट ट्री’ की ओर चलना शुरू कर दिया — जो कि फ़े स्पाई एजेंसी का मुख्यालय था।
"अरे ज़िया! आज ट्रेनिंग नहीं कर रही क्या?"
बाईं ओर से वोया की आवाज़ आई — उसकी एक और साथी। वोया ने ट्रेनिंग ग्राउंड से हाथ हिलाया। वहाँ एक हरे रंग की झाड़ी जैसी जीव आकृति ज़मीन पर लुड़क रही थी। वोया ने उसके बड़े हरे हाथ से बचते हुए नीचे स्लाइड किया और फिर उसकी पीठ पर चढ़ गई।
ज़िया ने हाथ हिलाया, लेकिन वह थोड़ी शर्मिंदा महसूस कर रही थी। क्या वह फिर से कभी ट्रेनिंग कर पाएगी?
"आज नहीं। मुझे गॉडमदर से मिलना है।"
वोया ने सिर हिलाया और उस हरे जीव से लड़ने में व्यस्त हो गई। उसके पीछे कई और एजेंट और छात्र उड़ रहे थे, कूद रहे थे, हमला कर रहे थे, बच रहे थे — हर कोई मिशन की तैयारी में व्यस्त था। वोया अच्छी थी, और ज़िया कुछ लोगों के साथ ठीक-ठाक थी, लेकिन उसने कभी गहरी दोस्ती नहीं की — सिवाय सारा के।
सारा…
ज़िया ने खुद को फिर से संभाला। अब वक़्त था गॉडमदर से मिलने का।
"अंदर आओ!"
गॉडमदर ‘ग्रेट ट्री’ के अंदर ज़िया का इंतज़ार कर रही थीं। लेकिन ज़िया अभी भी पत्तियों से ढके रास्ते पर जड़ बनी खड़ी थी। विशाल दरवाज़ा — जो ओक के तने में काटकर बनाया गया था — ठीक उसकी आँखों के सामने था।
"वहाँ ऐसे खड़ी क्यों हो, ज़ियाडोरा ग्रीनलीफ़? मुझे पता है तुम बाहर खड़ी हो।"
गॉडमदर की आवाज़ सुनकर ज़िया काँप गई। यह पेड़ था पूरे फ़े जंगल का सबसे ऊँचा — सौ फीट लंबा और पचास फीट चौड़ा। ज़िया ने गिल्टी महसूस करते हुए दरवाज़ा खोला और अंदर चली गई।
भीतर झिलमिलाती रौशनी थी — फ़े फूलों से बनी हुई। गोलाकार कमरा गर्म, सुकूनदायक, और दालचीनी और सेब की महक से भरा था। यह सब देखकर ज़िया को शांत महसूस करना चाहिए था — लेकिन उसके पेट में अजीब सी गड़गड़ाहट हो रही थी।
"ज़ियाडोरा, बैठो," गॉडमदर ने कहा, एक मुलायम काई और घास से बने आरामदायक कुर्सी की ओर इशारा करते हुए।
ज़िया बैठ तो गई, लेकिन उसका मन खिन्न था। उसे अपना पूरा नाम सुनना बिल्कुल पसंद नहीं था। वह सिर्फ़ ज़िया कहलाना पसंद करती थी — या फिर एजेंट ग्रीनलीफ़। आखिर उसकी माँ भी यही तो थीं।
"तुम्हारा मिशन पूरी तरह असफल रहा," गॉडमदर ने कहा। उनका चेहरा बूढ़ा था, लेकिन आवाज़ एकदम सधी हुई। "येगो पकड़ा नहीं गया। एक फ़े पाउच खो गया। और एक एजेंट वापस नहीं लौटी।"
ज़िया का दिल डूबने लगा। वह एफएसए में रहना चाहती थी — यह उसका सपना था। उसका मन कर रहा था कि वह उस काई की कुर्सी में समा जाए।
"ज़ियाडोरा, मेरी ओर देखो।"
ज़िया ने डरते-डरते गॉडमदर की आँखों में देखा। लेकिन उसे हैरानी हुई — गॉडमदर नाराज़ नहीं दिख रही थीं।
"और एक जूनियर एजेंट — उम्र नौ साल — अपने साथी के धोखे के बावजूद भाग निकली। बहादुरी और होशियारी से।"
ज़िया का दिल धड़कने लगा — उम्मीद से।
"तो... मैं अभी भी एफएसए की एजेंट हूँ?" उसने पूछा।
गॉडमदर ने गहरी साँस ली। वह दुनिया की सबसे ताक़तवर फ़े में से एक थीं। लेकिन इस समय, वे थकी और बुज़ुर्ग लग रही थीं।
"हाँ, एजेंट ग्रीनलीफ़। हर कोई गलती करता है," उन्होंने धीरे से कहा। फिर उनकी आवाज़ सख्त हो गई। "लेकिन कोई भी एजेंट दुश्मन को अपनी फ़े पाउच नहीं सौंपता! हम अंधेरे जादू से लड़ते हैं। हम अपनी शक्ति बुराई को नहीं देते!"
ज़िया को लगा जैसे वह किसी रोलरकोस्टर पर बैठी हो। उसे अब उतरना था।
"माफ कीजिए, गॉडमदर। ये फिर कभी नहीं होगा।"
"ज़ियाडोरा, एक अच्छा एजेंट जानता है कि किस पर भरोसा करना चाहिए — और कब नहीं करना चाहिए! ज़्यादातर बार, किसी पर नहीं!"
ज़िया ने गहरी साँस ली। सारा की याद आते ही उसका मन फिर से भारी हो गया। कैसे वह उसे अपनी सच्ची दोस्त मान बैठी थी!
"तो अब मैं क्या करूँ? क्या मैं येगो का पीछा करूँगी? क्या सारा को भी पकड़ूँ?"
गॉडमदर ने सिर हिलाया। "नहीं, ज़ियाडोरा। अब वो मिशन सीनियर एजेंट्स को सौंप दिया गया है। येगो अब पहले से भी ज़्यादा ख़तरनाक है।"
ज़िया को थोड़ी शर्म और थोड़ी राहत मिली। फिर गॉडमदर ने अपनी मेज़ के नीचे से कुछ निकाला और ज़िया की ओर बढ़ीं।
"तुम बहुत छोटी हो, ज़ियाडोरा। शायद तुम्हारा पहला मिशन जल्दी दे दिया गया। लेकिन तुमने सभी टेस्ट्स शानदार ढंग से पास किए थे — जो कि हमारी उम्मीद भी थी, तुम्हारी माँ की बेटी होने के नाते।"
ज़िया की टाँगें काँपने लगीं। गॉडमदर ने एक थैली बढ़ाई। ज़िया ने उसे थामा। वह पंख जैसी हल्की थी — खूबसूरत, गहरे लाल और बैंगनी रंग की पत्तियों से बनी हुई। और जैसे ही उसने उसे छुआ, उसके दिल में बिजली-सी दौड़ गई।
यह उसकी माँ की पाउच थी।
"यह तुम्हारी माँ की थी, ज़ियाडोरा," गॉडमदर ने कहा। "जहाँ उसे आख़िरी बार देखा गया था, वहीं से मिली थी। अब यह तुम्हारे पास होनी चाहिए।"
ज़िया की माँ — दूसरी एजेंट ग्रीनलीफ़ — दो साल पहले एक सीक्रेट मिशन पर गई थीं और फिर कभी नहीं लौटीं। तभी से ज़िया एफएसए अकैडमी में एडमिशन लेना चाहती थी — माँ के रास्ते पर चलना चाहती थी।
"मैंने तुम्हारे लिए नया मिशन चुना है — लीडविल, कोलोराडो में," गॉडमदर ने कहा। "और इस बार, सिर्फ़ तुम ही हो जो ये काम कर सकती हो।"
ज़िया का दिमाग़ घूमने लगा। रॉकी पर्वतों की जादुई कहानियाँ उसे याद थीं। उन पहाड़ों के बीच बसा लीडविल — मैजिक वर्ल्ड में काफ़ी मशहूर था।
"लेकिन मैं ही क्यों? क्या ख़ास है मुझमें?"
गॉडमदर मुस्कराईं। "ज़ियाडोरा, मुझे चाहिए कि तुम वापस स्कूल जाओ।"
"क्या?" ज़िया चौंक गई। "लेकिन मैंने तो अपने सारे टेस्ट पास कर लिए हैं!"
गॉडमदर हँसीं। "इंसानी स्कूल, प्यारी। हमें लीडविल के एक स्कूल में जादुई हलचल का पता चला है।"
गॉडमदर ने उसकी माँ की पाउच की ओर इशारा किया।
"जंगल से कुछ पौधे इकट्ठा करो। तैयार हो जाओ।"
"कल से तुम्हारी तीसरी कक्षा शुरू होती है।"

अध्याय 3
घंटी बजी। ज़िया ने अपना बैग कसकर पकड़ लिया और बाकी बच्चों के साथ लाइन में अंदर चली गई।
उसके बैग में दो खाली नोटबुक, कुछ पेंसिल और उसकी माँ की पुरानी हरी-और-जामुनी पाउच थी। पीछे से बच्चे हँसते-बोलते चले आ रहे थे। ज़िया चुपचाप सुनती रही। एक गुप्त एजेंट के तौर पर, उसका काम जानकारी इकट्ठा करना था।
"ठीक है बच्चों, अब सब शांत होकर बैठो!" एक गर्मजोशी भरी और मीठी आवाज़ आई। "आशा है तुम सबका वीकेंड अच्छा गया होगा।"
सभी बच्चे अपनी सीटों पर बैठ गए, बस ज़िया ही खड़ी रह गई। उसने अपनी टीचर की ओर देखा। उनका नाम था मिस स्टीवंस। वे लंबी थीं और उनके काले, चमकते बाल कमर तक लहराते थे। उनकी गर्दन में एक सुंदर, नीले क्रिस्टल वाला हार झूल रहा था। ज़िया ने सोचा — वाह! , ये टीचर तो बहुत खूबसूरत हैं।
"हमारे पास आज एक नई छात्रा है," मिस स्टीवंस ने कहा और ज़िया की ओर मुस्कराते हुए देखा। ज़िया भले ही एक ट्रेंड एजेंट थी, फिर भी उसकी गर्दन तक गर्मी दौड़ गई। "क्या तुम अपना परिचय देना चाहोगी?"
ज़िया ने गला साफ़ किया। सारे चेहरे उसकी ओर मुड़े थे। "हाय... मेरा नाम ज़िया है। मैं... यानी, मैं यहाँ नई हूँ।"
"हाय ज़िया!" पूरी क्लास ने एक साथ कहा।
मिस स्टीवंस ने मुस्कराकर कक्षा के पीछे एक डेस्क की ओर इशारा किया। "लीडविल एलेमेंट्री में स्वागत है, ज़िया। तुम सैडी और वेस्ली के पास बैठ सकती हो।"
ज़िया ने धीरे से जाकर सीट ले ली। उसकी बाईं ओर बैठी लड़की ने बड़े ही दोस्ताना अंदाज़ में मुस्कराया।
"तुम्हारा नाम बहुत कूल है," सैडी ने कहा। "और तुम्हारे बाल तो सुपर क्यूट हैं!"
ज़िया ने अपने बालों को छुआ। आज सुबह उसने एक खास फ़े पत्ता चबाया था जिससे वो अपने बालों को किसी भी रंग और स्टाइल में बदल सकती थी। इस मिशन के लिए उसने नीले, घुंघराले बाल चुने थे। उसने इधर-उधर देखा और पाया कि कुछ बच्चों के बालों में भी रंगीन लटें थीं।
"थैंक्यू," ज़िया ने कहा। उसने सैडी को गौर से देखा — गहरी भूरे रंग की त्वचा, गहरे भूरे बाल और प्यारी, चमकती आँखें। उसका चेहरा बहुत दोस्ताना लग रहा था। ज़िया को इंसानों की तरह व्यवहार करना था, लेकिन उसे ठीक से पता नहीं था कि नौ साल की इंसानी लड़की कैसी होती है। जल्दी से उसने कुछ सोचकर कहा, "तुम्हारी शर्ट बहुत अच्छी लग रही है।"
सैडी ने मुस्कराकर अपनी नीली-धारीदार शर्ट की ओर देखा और ‘थैंक्स’ कहा। ज़िया को राहत मिली। अच्छा हुआ, सैडी को उसकी तारीफ़ पसंद आई। फिर उसकी नज़र अपने दाईं ओर के लड़के पर गई — उसका सिर लगभग पूरा मुंडा हुआ था और उसकी आँखें मधु-रंग की थीं। उसी समय वेस्ली ने भी ज़िया की ओर देखा।
उसने भौंहें चढ़ाईं और नाक सिकोड़ ली, जैसे कोई अजीब सी गंध आ रही हो। कुछ तो था उसमें जो ज़िया को असहज कर रहा था — और उसे वो बिल्कुल पसंद नहीं आया।
"प्लीज़, अब अपना मैथ फोल्डर खोलिए और कल की वर्कशीट पूरी करिए," मिस स्टीवंस ने कहा।
मिस स्टीवंस ने ज़िया को एक खाली वर्कशीट दे दी। फिर वह वेस्ली के डेस्क पर आईं।
"वेस्ली भी हमारी क्लास में नया है — वह कुछ हफ़्ते पहले ही आया है," उन्होंने ज़िया और वेस्ली की ओर देखते हुए कहा। "वेस्ली, चूँकि तुमने ये वर्कशीट कल ही पूरी कर ली थी, क्या तुम ज़िया को शुरुआत करने में मदद कर सकते हो?"
ज़िया ने सिर हिलाया। मैथ उसका सबसे कमजोर विषय था। उसके लिए नंबर पढ़ना ऐसा था जैसे मछली को हाथ से पकड़ने की कोशिश करना — हर बार फिसल जाते थे। शायद ये लड़का उसकी मदद कर सके। लेकिन...
वेस्ली ने बस नाक से कुछ बुदबुदाया और जब भी ज़िया कोई जवाब गलत करती, तो बस वर्कशीट पर उंगली रख देता। बहुत ही चिड़चिड़ा था।
"तुम्हें मल्टिप्लाई करना आता भी है?" उसने कहा — और उसकी आवाज़ बिल्कुल ठंडी और बेरुख़ी थी।
जब मैथ का पीरियड खत्म हुआ, ज़िया का मूड पूरी तरह से ख़राब हो चुका था। "क्यों करता है वो इतनी नफरत?" उसने सोचा। उसने बाकी क्लास की तरफ़ देखा — और देखा कि कम से कम तीन बच्चे अपनी डेस्क पर सिर टिकाकर सो रहे थे। लेकिन सिर्फ़ वेस्ली ही था जो उसे अजीब लग रहा था।
घंटी बजी।
"ज़िया, क्या तुम ज़रा रुक सकती हो?" मिस स्टीवंस ने पूछा।
ज़िया दरवाज़े के पास खड़ी रही जबकि बाकी बच्चे बाहर निकलते गए। सैडी ने उसे थम्स-अप दिया और चली गई।
"तो, आज पहले दिन कैसा लग रहा है?"
मिस स्टीवंस झुक गईं ताकि उनकी नज़रें ज़िया की आँखों से मिलें।
"उम्म... ठीक है," ज़िया ने जवाब दिया, जैसे कोई आम तीसरी क्लास की बच्ची हो — न कि एक जासूस। "बहुत कुछ सीखना है शायद।"
"मुझे पता है कि स्कूल बदलना कितना मुश्किल होता है। जब मैं तुम्हारी उम्र की थी, मैंने भी कई बार स्कूल बदले," मिस स्टीवंस ने कहा। उनकी हरी-हरी आँखों में ग़ज़ब की नरमी थी। उन्होंने अपनी नीली क्रिस्टल वाली लॉकेट को हल्के से सहलाया। "ज़िया, मैं तुम्हारी मदद के लिए हमेशा यहाँ हूँ। कुछ भी चाहिए तो बेझिझक आना, समझी?"
ज़िया ने मुस्कराकर सिर हिलाया। मिस स्टीवंस वाकई बहुत प्यारी थीं। "धन्यवाद। मैं ज़रूर आऊँगी।"
"तुम बहुत ख़ास हो, ज़िया," उन्होंने कहा और उसके कंधे पर हाथ रखा।
ज़िया की आँखें थोड़ी भारी लगने लगीं। कठिन मैथ के सवालों और वेस्ली के बुरे व्यवहार ने उसकी सारी एनर्जी चूस ली थी। और ऊपर से, जंगल से लीडविल तक का सफर भी उसने पूरी रात में तय किया था। उसे भूख भी लग रही थी और नींद भी।
"ठीक है, अब जाओ — लंच का टाइम हो गया है। मुझे लगता है तुम भूखी होगी," मिस स्टीवंस ने मुस्कराकर कहा।
जैसे ही ज़िया कैफ़ेटेरिया में पहुँची, सैडी ने दूर से हाथ हिलाया। वो अकेली बैठी थी। ज़िया ने ट्रे उठाई और उसके पास जाकर बैठ गई। वो सैडी के पास बैठकर खुश थी। ज़िया जानती थी अकेलेपन का क्या मतलब होता है। फ़े कबीले में वो सबसे अलग-थलग महसूस करती थी — उसे अच्छे एजेंट बनने की इतनी फिक्र रहती थी कि दोस्तों के लिए वक़्त ही नहीं बचता था। सिवाय सारा के। सारा... ज़िया का दिल थोड़ा कसक उठा।
"मिस स्टीवंस ने क्या कहा?" सैडी ने मुँह में चम्मच डालते हुए पूछा।
ज़िया ने अपने सामने रखे कटोरे को देखा — उसमें गरमा-गरम चिली थी। उसने खुद को जवाब देने के लिए मजबूर किया, इससे पहले कि वह खाना छोड़ दे — और ये बड़ी मुश्किल थी।
"कुछ नहीं, बस पूछ रही थीं कि सब ठीक है या नहीं। बोलीं कि कोई दिक्कत हो तो मैं उनके पास जा सकती हूँ।"
आख़िरकार, ज़िया ने चिली चखी। गरम तो थी, लेकिन बहुत स्वादिष्ट! ज़िया मानती नहीं थी, लेकिन उसे इंसानों का खाना बहुत पसंद था — चीज़, कुकीज़, केक, चॉकलेट... सब कुछ!
"मिस स्टीवंस बहुत अच्छी हैं," सैडी ने कहा। वो चिली उतनी उत्साह से नहीं खा रही थी जितना ज़िया। ज़िया सोच रही थी — क्या ये अजीब होगा अगर मैं इसका बचा खाना भी खा लूँ? "वो हमसे हर हफ़्ते एक-एक से बात करती हैं, बस देखने के लिए कि हम कैसा महसूस कर रहे हैं। ऐसा करने वाली वो अकेली टीचर हैं इस स्कूल में!"
घंटी फिर बजी। ज़िया ने चिली को जल्दी से खा लिया। सैडी हैरान रह गई। फिर उसने अपनी बची हुई चिली की ट्रे ज़िया की तरफ़ बढ़ा दी। ज़िया हँसी और सैडी का खाना भी चट कर गई। उसी वक्त, वेस्ली उनके पास से गुज़रा। उसने ज़िया की ओर गुस्से से देखा। सैडी ने दोनों कटोरे उठाए और ट्रे वापसी काउंटर की तरफ़ ले गई। वेस्ली रुका। उसके चेहरे पर कुछ गंभीरता थी। पास में कोई और नहीं था।
और फिर वो फुसफुसाया — एक ऐसी आवाज़ में, जिससे ज़िया का खून ठंडा पड़ गया:
"चेतावनी दे रहा हूँ — अपनी जादूई नाक मत घुसेड़ो, परी!"
